Home Uttarakhand Dehradun सदन में जंगली जानवरों से निजात का मुद्दा फिर गर्माया

सदन में जंगली जानवरों से निजात का मुद्दा फिर गर्माया

सदन में जंगली जानवरों से निजात का मुद्दा फिर गर्माया

वन मंत्री सुबोध उनियाल।

देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र के 5वें दिन शनिवार को सदन में नियम 58 के तहत जंगली जानवरों से निजात का मुद्दा फिर गर्माया। इससे पूर्व भी जंगली जानवरों के संबंध में सदन में चर्चा हो चुकी है। शनिवार को उत्तराखंड विधानसभा बजट सत्र के पांचवें दिन सदन में एक बार फिर से जंगली जानवरों से निजात दिलाए जाने का मुद्दा कांग्रेसी विधायकों की ओर से जोरदार ढंग से उठाया गया।

विधायकों ने आरोप लगाया कि पहाड़ से लेकर मैदान तक जंगली जानवर फसलों को बर्बाद कर रहे हैं और राज्य सरकार कोई उचित प्रबंध नहीं कर रही है। कांग्रेस विधायक मनोज तिवारी, सुमित हृदेश, भवन कापड़ी, लखपत बुटोला, रवि बहादुर और विक्रम सिंह नेगी ने यह मुद्दा उठाया। लखपत ने कहा कि सियार से जनता परेशान है, मैदान के बंदरों को लाकर पहाड़ में छोड़ा जा रहा है, जिस से फसले तबाह हो रही है।

वही ज्वालापुर विधायक रवि बहादुर ने कहा कि मेरा क्षेत्र 50 किमी तक राजाजी नेशनल पार्क से लगता हुआ है, जहां जंगली जानवरों से फसलों ही नहीं इंसानों की भी जान शामत में आई हुई है। उन्होंने विगत वर्ष तीन लोगों की मौत का आंकड़ा सामने रखते हुए कहा कि वन विभाग की ओर से मृतकों को मिलने वाली मुआवजा राशि में देरी हो रही है।

प्रथम किश्त 1 लाख 80 हजार तो मौत के बाद ही मिल जा रहे हैं, मगर बाकी के पैसे मिलने में 8-8 महीने लग जा रहे हैं। उन्होंने नियमों में बदलाव करने और मुआवजा राशि बढ़ाने के साथ ही वॉच टावर लगाने, सुरक्षा दीवार करने की मांग उठाते हुए यहां तक कहा कि सरकार राजाजी पार्क से लगी हुई किसानों जमीन ले ले और किसानों को एक लाख रूपये बीघा के हिसाब से सालाना दे दे। वही विक्रम सिंह नेगी ने कहा कि जंगली जानवरों के चलते लोग खेती छोड़ रहे हैं और जमीन है बंजर हो रही है।

उन्होंने कहा कि बाघों से प्यार है तो इंसानों से भी प्यार करना होगा। 2012 से नसबंदी का सुन रहे हैं। पहाड़ में लोगों को रखना है तो जानवरों का कुछ करना होगा। उन्होंने आवारा पशुओं का मुद्दा भी उठाया। विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए वन मंत्री सुबोध उनियाल नेकहा कि उत्तराखंड में 71 प्रतिशत वन भूमि है। यहां वन वन्य जीव जहां विविधता की निशानी है।

वही आर्थिकी का भी एक बड़ा माध्यम है, हां यह जरूर है कि वन्य जीव मानव संघर्ष को कम करने की दिशा में काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमने मुआवजा राशि 4 से बढ़कर 6 लाख कर दी है और बंदर, ततैया के काटने से मौत होने पर भी मुआवजा दिया जा रहा है।

उन्होंने सदन को अवगत कराया की 1 लाख 15000 के आसपास बंदरों की नसबंदी की जा चुकी है, अभी 28000 बंदरों की नसबंदी और करने जा रहे हैं साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि वॉलंटरी विलेज फोर्स का गठन किया जा रहा है। इसके तहत 540 को प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि 447 गुलदारों को मारने की परमिशन दी गई है, बायो फेंसिंग पर भी विचार किया जा रहा है।