देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हरिद्वार भूमि घोटाले की न्यायिक देखरेख में सीबीआई जांच कराने की मांग सरकार से की है। उन्होंने कहा कि इस घोटाले के पीछे सफेदपोश व्यक्तियों की संलिप्तता दिखती है। उन्होंने पंचायत चुनाव नहीं कराने को बड़ी चूक बताते हुए कहा कि इस मामले में जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का हरिद्वार भूमि घाटाला मामले पर बयान आया है।
#हरिद्वार का बहु चर्चित #भूमि_घोटाला किसी बड़े अखबार की खोज नहीं है, बल्कि गंगा प्रेमी पत्रकार हैं जिनका अपना पोर्टल है, उन्होंने और उनके सहयोगियों ने यह करिश्मा करके दिखाया है। दबाव बहुत आये, मगर निर्भीक खड़े रहे।
आज राज्य में कई नामचीन #पत्रकार, पोर्टल, यूट्यूब आदि का …1/2 pic.twitter.com/okGpsgEUON— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) June 3, 2025
उन्होंने कहा कि यह अत्यधिक गंभीर मामला है। यह बड़ा भ्रष्टाचार है। हरीश रावत ने कहा कि भूमि घोटालों की जांच या तो जज की देख-रेख कराई जाए, वरना उच्चस्तरीय एसआईटी गठित हो या फिर सीबीआई से मामले की जांच कराई जाए। जो भी जांच हो वह कोर्ट की देखरेख में होनी चाहिए। वहीं हरीश रावत ने आरोप लगाते हुए कहा कि एक बात शर्तिया है कि ऐसा खुला घोटाला, एक-दो, तीन अधिकारी नहीं कर सकते।
राजनीतिक संरक्षण या संलिप्तता, दोनों में से एक अवश्य है। मामला पचाने लायक नहीं था, इसलिए अधिकारियों पर गाज गिर गई। मगर सफेदपोश का क्या होगा? चाहे कपड़ों का रंग कैसा ही क्यों न हो।बता दें कि हरिद्वार जमीन घोटाले में धामी सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए तीन जून को हरिद्वार के तत्कालीन जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह, तत्कालानी हरिद्वार नगर आयुक्त आईएएस वरुण चौधरी और पीसीएस अधिकारी अजय वीर समेत सात अधिकारियों को निलंबित किया।