सीएस ने दिया आश्वासन, कहा, सीएम के दिल्ली से आने के बाद की जाएगी वार्ता
देहरादून। उत्तराखंड में लगातार मदरसों के खिलाफ की जा रही सीलिंग की कार्रवाई को तत्काल रोके जाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से सचिवालय में मुलाक़ात की। हरिश रावत सभी मदरसों को एक ही श्रेणी में लेकर अनावश्यक रूप से की गई कार्यवाही पर नाराजगी जाहिर की।
उन्होंने कहा कि जिन मदरसों में उर्दू फारसी मौलवियत की डिग्री दी जाती है उनका पंजीकरण कराना तो उचित लगता है, मगर जिन स्थानों पर स्कूली छात्रों को प्राइमरी इस्लामिक शिक्षा दी जाती है, जहां केवल कायदा, सिपारा, कुरान सिर्फ इसलिए पढ़ाया जाता है ताकि वह अपनी इबादत ठीक से कर सके और अपने दीन के हिसाब से जीने का सलीका सीख रहें है उन पर हो रही कार्यवाही गलत हैं। उन्होंने कहा कि सीलिंग की कार्रवाई को तत्काल रोका जाए।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से मुलाकात वालों में विधायक काजी निजामुद्दीन, विधायक ममता राकेश, विधायक फुरकान अहमद, विधायक रवि बहादुर, विधायक अनुपमा रावत, विधायक वीरेंद्र जत्ती, विधायक आदेश चौहान, लोक सभा प्रत्याशी रहे वीरेंद्र रावत, जिला अध्यक्ष राजीव चौधरी, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राव अफाक अली आदि शामिल रहे। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने आश्वाशन दिया कि मुख्यमंत्री शाम तक दिल्ली से लौट आएंगे, में उनके संज्ञान में लाकर उनसे वार्ता कर जल्दी कोई कदम उठाऊंगी।
इसी बीच राव अफाक अली ने वन गुजरो की अपनी निजी जमीन में बने कमरे जिसे परसो सील किया गया था, को तत्काल खुलवाने की अपील की जिसका सोसाइटी रजिस्ट्रेशन प्रमुख सचिव को सौंपा। राव अफाक अली ने कहा कि ना तो वो मस्जिद है और ना वो मदरसा इन चार वन गुजर भाइयों के ही बच्चे इसमें कुरान व नमाज पढ़ते है।
धार्मिक शिक्षा देने के लिए अनुमति की जरूरत नहीः विधायक
सभी विधायकों ने एक स्वर में कहा कि प्रमुख सचिव को 6 माह पूर्व नोटिस देकर कार्यवाही करनी चाहिए थी और आइंदा होने वाली कार्यवाही को भी 6 माह पूर्व नोटिस दिया जाए और जिन जगह पर गीता, रामायण और पुराण, इंजील, बाइबल, गुरु ग्रंथ , सिपारा या कुरान पढ़ाया जाता है उन जगहों पर पढ़ाने के लिए किसी भी सरकार से इजाजत लेने की जरूरत नहीं है , वो अपने अपने धर्माे की पूजा इबादत करने के लिए स्वतंत्र है।